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सिंगरौली

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  • सिंगरौली। जिले का जियावन थाना क्षेत्र इन दिनों अवैध रेत कारोबार का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है। यहां खुलेआम नदी-नालों से रेत का अवैध उत्खनन और ट्रैक्टर-ट्रकों के जरिए उसका परिवहन हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी गतिविधि के बावजूद स्थानीय पुलिस प्रशासन पूरी तरह मौन है। ग्रामीणों का कहना है कि थाना प्रभारी  का  सीधी शह पर यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है।

सूत्रों की मानें तो रेत माफियाओं से मोटी रकम लेकर पुलिस कार्रवाई से आंखें मूंद लेती है। यही वजह है कि आए दिन रात-दिन सैकड़ों ट्रक बालू अवैध रूप से भरकर बाजारों तक पहुंचाए जा रहे हैं। इस कारोबार से सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है, वहीं रेत माफियाओं की जेबें भरती जा रही हैं।

स्थानीय लोगों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि थाना प्रभारी का रवैया पूरी तरह संदेहास्पद है। जब भी ग्रामीण शिकायत करने जाते हैं, तो पुलिस कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ताओं को ही दबाव बनाकर चुप करा देती है। इससे साफ जाहिर होता है कि थाना स्तर पर ही इस अवैध धंधे को संरक्षण प्राप्त है।

ग्रामीणों का कहना है कि अवैध उत्खनन से न केवल क्षेत्र की सड़कें पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं, बल्कि नदियों और नालों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। भू-जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है और पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुंच रही है। लगातार बढ़ते इस कारोबार से आम जनता का जीवन संकट में है, लेकिन प्रशासन और पुलिस का मौन कई सवाल खड़े कर रहा है।

क्षेत्रवासियों ने जिला प्रशासन, खनिज विभाग और उच्च पुलिस अधिकारियों से मांग की है कि जियावन क्षेत्र में तत्काल छापेमारी कर अवैध कारोबार पर रोक लगाई जाए। साथ ही थाना प्रभारी की भूमिका की निष्पक्ष जांच कर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। उनका कहना है कि सरकार जहां एक ओर अवैध खनन पर रोक लगाने के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी ओर थाना स्तर पर ही इस तरह का संरक्षण प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।

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